बांग्लादेश के हिन्दुओं से सीख

बांग्लादेश के हिन्दुओं से सीख
Where are the eyes of the world? Hindus are being genocided by Muslims in Bangladesh. Why this international and media silence? पूरे प्रकरण में, हिन्दू मरे, मंदिर जलाए गए, दुकानें लूटी गईं, गाँव जलाए गए, मुसलमानों की भीड़ ने हर वह कार्य किया जो वो चौदह सौ वर्षों से अलग-अलग स्थानों पर करते रहे हैं। बांग्लादेश में, राजनैतिक प्रदर्शन की आड़ में इस्लामी प्रसारवाद और काफिरों की सामूहिक हत्या की योजना क्रियान्वित हुई। राजनैतिक लक्ष्य पाने के उपरांत इस्लामी आतंकियों ने पहले तो उन मुसलमानों को मारा-काटा जो राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी थे, तत्पश्चात् हिन्दुओं को इसका बाय-प्रोडक्ट बनाया। इसका एक ही अर्थ है कि हिन्दू किसी भी ऐसे इस्लामी राष्ट्र में ऐसा तत्व है जो खेल-खेल में काट दिया जाता है। दो-तीन दिन की हिंसा जब सोशल मीडिया के माध्यम से हर जगह फैलने लगी तो भारत के क्लिपकटुए और उनका गिरोह उम्माह को चुम्मा देने में व्यस्त हो गया। इनकी तकनीक पुरानी है: सौ घटनाओं के बाढ़ आने पर, स्वयं के बनाए दस अकाउंट से पुराने या किसी अन्य स्थल की घटनाओं को उतिउत्साही शब्दों में लिखना, फिर उन्हें चिह्नित करके फैक्टचेक करना कि ये तो फेक न्यूज है, फिर उसके आधार पर पूरे नरसंहार को षड्यंत्र बताना। बांग्लादेश के विषय में यह चला नहीं। यूएन या अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने इसका संज्ञान न लिया हो, परंतु क्लिपकटुआ चिल्लाता रह गया और इस नरसंहार के साक्षी हिन्दू लाखों की संख्या में सड़कों पर आ गए। पंचरपुत्र इसी से भय खाता है। भारत के हमारे जैसे हिन्दुओं के लिए लज्जा की बात है कि हम कभी भी इस तरह से एकत्रित नहीं हुए। बांग्लादेश के हिन्दुओं ने यह देखा कि हर जिले में उसके अपने काटे जा रहे हैं, दुकानों को लूटा जा रहा है, मंदिरों में आग लगाई जा रही है, तो उन्होंने जीवन की परवाह न करते हुए भी, एक आतंकी सोच वाली भीड़ को सड़क पर अपनी एकता दिखाने का निर्णय लिया। भारत में हमारी हर शोभा यात्रा पर इस्लामी पत्थरबाजी की छाप केवल इसलिए होती है क्योंकि ये नहीं चाहते कि हम पचास की भी भीड़ ले कर निकलें। हिन्दुओं को सारे त्योहार वापस सामूहिकता से मनाने होंगे। त्योहार के दिन छुट्टी मनाने वाले टीवी देखते रह जाते हैं और दंगाई उनके घर में पेट्रोल बम फेंक रहे होते हैं। बांग्लादेश के हिन्दुओं ने यह बताया है कि उन्हें मृत्यु का भय नहीं है, बल्कि यदि मरना ही है तो लड़ कर मरेंगे।
जिस दिन हम यह तय कर लेंगे, कोई भी विधर्मी हमारी रामनवमी-हनुमान जयंती-शिवरात्रि-काँवर यात्रा आदि पर पत्थर नहीं फेंक पाएगा। हमें केवल संख्या बढ़ा कर, एकत्र हो कर चलना है, बाकी चीजें स्वतः होने लगेंगी। तैयार रहिए, तैयारी के साथ निकलिए। भारत में सौ करोड़ हिन्दू कायरता से नहीं बचे हैं। पूर्वजों का बलिदान हुआ था और हर हिन्दू पर आज यह भार है कि वह पूर्वजों का ऋण उचित प्रतिकार से चुकाए।

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